
तुम ही हो मेरी पहली ख्वाइश ,
तुम ही हो आखिरी तम्मना ...
तुम से ही हर बंदीगी हैं,
तुम से ही सीखा हैं महकना…
तुम ही हो मेरी सख्शियत की छवि ,
तुम ही मेरा आइना...
तुम से ही हर जुस्तजु हैं ,
तुम ही हो जीने का एक मात्र बहाना …
तुम ही हो मेरे लिए सावन की पहली बारिश और ,
तुम ही हो वो मिट्टी की खुशबू सौंधी सी …
तुम ही हो मेरी नींद में हर करवट की वजह और ,
तुम से ही हैं मेरी हर मदहोशी....
ज़िन्दगी से सिर्फ एक शिकायत हैं ,
काश तुम एक ख्वाब नहीं हकीकत भी होती ...
तो मैं ऐसा न रहता,
अगर मेरी भी एक “तुम ” होती ...